चंद्रयान-3 सफलता-पूर्वक चाँद के साउथ पोल में लैंड कर चुका है। 2019 जब हमें पता चला कि चंद्रयान-2 चाँद पर पहुंचने से दो किलोमीटर पहले ही खो गया और विक्रम लैंडर से हमारा कनेक्शन टूट गया और फिर सबकी आंखें नम हो गई लेकिन हम पूरी तरह से फेल नहीं हुए थे। ऑर्बिटल अभी भी मून का चक्कर लगा रहा था जिसने हमें अभी तक कई सारी जानकारी दी।
इतना सब होने के बाद भी हम हार कैसे मान सकते थे? 2021 से हमने चंद्रयान-3 की तैयारी शुरू कर दी और अब चार साल बाद लॉन्च भी हो गया है। हाल ही में लैंडर का परीक्षण किया गया था जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटेक इंटरफ़ियरेंस और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कंपीटिबिलिटी को चेक किया गया था, जो कि सफल रहा था। सवाल ये बनता है कि चंद्रया-3 किसलिए चाँद पे गया है? ऐसा क्या खास पता करने वाला है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग साउथ पोल पर होगी। यहाँ पे 2.4 किलोमीटर तक गड्ढा है जिसे SHEKLETON CRATER कहते हैं।
यहाँ पर अरबों सालों से लाइट नहीं पहुंची है जिस वजह से इसका टेम्प्रेचर माइनस 267° डिग्री फॉरेनहाइट बना रहता है। एक्स्पर्ट्स के अनुसार यहाँ पे हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा होने से 100 million टन तक क्रिस्टलाइज़ पानी पाया जा सकता है। साथ ही यहाँ पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मर्करी और सिल्वर जैसे रिसोर्सेज़ के निशान मिले हैं। कई सारे देश जैसे यूनाइटेड स्टेट्स, चाइना साउथ पोल को एक्स्प्लोर करना चाहते हैं लेकिन दुनिया में अभी तक किसी के पास साउथ पोल की अधिक जानकारी नहीं है।
इंडिया ग्लोबल में-
अगर हम इस मिशन में पूर्ण रूप से सफल होते हैं तो इंडिया का स्टेटस, अंतरिक्ष रिसर्चर में लीड पर आ जाएगा। साथ ही दुनिया के सामने हम अपनी टेक्नोलॉजी कंपेटिबिलिटी को बेहतर तरीके से साबित कर पाएंगे और इस मिशिन से जिओ-पॉलिटिकली भी बहुत फ़ायदा होने वाला है। अगर कोई भी सुझाव है तो आप हेम कमेंट सेक्शन की सहायता से जुड़ सकते हैं।